मेघ गर्जन संग चली, छाए गगन में बदली,
वीरबाला वीरांगना, जय जय हो तीलू रौतेली।
जै जै हो तीलू रौतेली, जय जय हो तीलू रौतेली...
खडग खडकने लगी, रणभेरी गूंजने लगी,
धूल से धरती भरी, जब अश्व सेना बढ़ चली ।
दुश्मन को रौंदती चली, वाहन ये तेरी बिंदुली,
वेलू देवकी सहेली संगनी, लाई है तीलू रौतेली। ।
लाई है तीलू रौतेली, जय जय हो तीलू रौतेली...
पर्वत पुष्प बिखेरते, नयार मध्यम हो चली,
जिस डगरसे तू चली, पावन वो माटी हो चली ।
चांद सी तेरि कांति काया, रौद्ररूप है धर चली,
शत्रुओं का संहार करने, चली है तीलू रौतेली । ।
चली है तीलू रौतेली, जय जय हो तीलू रौतेली...
अधरों में है आज तेरे, रक्त पिपासा जग चली,
केश अपने बांधकर, मुण्डमाला पहन चली ।
ललाट दहकने लगे, अंगार नयनों से जली,
शोलों से सज श्रंगार कर, आई है तीलू रौतेली । ।
आई है तीलू रौतेली, जय जय हो तीलू रौतेली...