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बिनसर महादेव: रानीखेत की वह पावन धरोहर जहाँ घंटियाँ बजती हैं सिर्फ़ आरती के वक्त!

उत्तराखंड की देवभूमि में छिपा बिनसर महादेव मंदिर न सिर्फ़ आस्था का केंद्र है, बल्कि यहाँ का रहस्यमयी नियम—"घंटियाँ सिर्फ़ आरती के समय बजाएँ"—इसे और खास बनाता है। रानीखेत के सोनी गाँव में स्थित इस मंदिर में भगवान शिव-पार्वती के साथ-साथ अन्य देवताओं की प्रतिमाएँ और अद्भुत वास्तुकला आपको हैरान कर देगी। इस ब्लॉग में जानिए वो अनोखी बातें जो बिनसर महादेव की यात्रा को एक अविस्मरणीय अनुभव बनाती हैं।

बिनसर महादेव: जहाँ शिव की घंटियाँ गूँजती हैं मौन में

उत्तराखंड, जिसे देवताओं की भूमि कहा जाता है, अपने रहस्यमयी मंदिरों और प्राकृतिक सौंदर्य के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है। ऐसा ही एक अद्भुत तीर्थ है बिनसर महादेव मंदिर, जिसे स्थानीय लोग "सोनी बिनसर" के नाम से भी पुकारते हैं। यह मंदिर न सिर्फ़ भगवान शिव के प्रति श्रद्धा जगाता है, बल्कि इसकी वास्तुकला और यहाँ के नियम आपको आध्यात्मिक रहस्यों के करीब ले जाते हैं।


कहाँ है यह मंदिर?


बिनसर महादेव मंदिर उत्तराखंड के रानीखेत से लगभग 20 किमी दूर, सोनी गाँव की पहाड़ियों में स्थित है। समुद्र तल से 2480 मीटर की ऊँचाई पर बना यह मंदिर चारों ओर से देवदार और बुरांश के पेड़ों से घिरा हुआ है। यहाँ पहुँचने का रास्ता जितना रोमांचक है, मंदिर का वातावरण उससे कहीं ज्यादा शांतिदायक।

शिव-पार्वती की पावन स्थली


इस मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती की मुख्य प्रतिमाएँ विराजमान हैं। साथ ही, यहाँ गणेश जी, हनुमान जी, और अन्य देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी स्थापित हैं। मान्यता है कि यह वही पावन स्थल है जहाँ शिव-पार्वती ने ध्यान किया था। मंदिर की दीवारों पर उकेरी गई कुमाऊँनी चित्रकारी और नक्काशी इसकी ऐतिहासिक महत्ता को दर्शाती है।


वो अनोखा नियम: "घंटी बजाओ, मगर सिर्फ़ आरती के वक्त!"


मंदिर में प्रवेश करते ही आपकी नज़र ढेर सारी घंटियों पर पड़ेगी, लेकिन हैरानी तब होती है जब पता चलता है कि इन्हें बजाने की अनुमति सिर्फ़ आरती के समय ही है! जब मैंने स्थानीय लोगों से इसका कारण पूछा, तो उन्होंने बताया: "यहाँ का नियम है कि घंटियाँ भगवान को जगाने के लिए नहीं, बल्कि उनके आशीर्वाद का स्वागत करने के लिए बजाई जाती हैं।" मंदिर के मुख्य द्वार पर भी यह नियम लिखा हुआ है, जो पर्यटकों को शांतिपूर्वक दर्शन करने की याद दिलाता है।

क्यों जाएँ बिनसर महादेव?
1. आध्यात्मिक शांति: यहाँ का वातावरण ध्यान और साधना के लिए आदर्श है।
2. वास्तुकला का अद्भुत नमूना: लकड़ी की नक्काशी और रंगीन चित्रों वाली दीवारें इतिहास प्रेमियों को लुभाएँगी।
3. प्रकृति का संगम: हिमालय की चोटियों और हरे-भरे जंगलों का नज़ारा मन मोह लेगा।
4. अनूठी परंपराएँ: घंटियों का नियम और स्थानीय रीति-रिवाज़ संस्कृति की गहराई बताते हैं।

मेरा अनुभव: वो सकारात्मक ऊर्जा जो शब्दों से परे है
जब मैंने पहली बार इस मंदिर में प्रवेश किया, तो एक अलौकिक शांति ने मेरे मन को छू लिया। घंटियों का मौन, दीवारों पर बनी पौराणिक कथाओं की चित्रकारी, और हवा में घुली धूप की खुशबू—सब कुछ मानो समय को रोक देने वाला था। यहाँ की ऊर्जा इतनी प्रबल है कि आप खुद को दिव्य आनंद से भरा हुआ महसूस करते हैं।

यात्रा से जुड़ी जानकारी
- सर्वोत्तम समय: अप्रैल से जून और सितंबर से नवंबर।


- कैसे पहुँचें:


- नज़दीकी रेलवे स्टेशन: काठगोदाम (85 किमी)।
- नज़दीकी हवाई अड्डा: पंतनगर (110 किमी)।
- रानीखेत से टैक्सी या बस द्वारा सोनी गाँव पहुँचा जा सकता है।
- ध्यान रखें: मंदिर में फोटोग्राफी की अनुमति है, लेकिन घंटियाँ सिर्फ़ आरती के वक्त बजाएँ।

निष्कर्ष: एक बार जरूर जाएँ!


अगर आप उत्तराखंड की यात्रा कर रहे हैं और रानीखेत जाने का प्लान बना रहे हैं, तो बिनसर महादेव मंदिर को अपनी लिस्ट में ज़रूर शामिल करें। यहाँ की शांति, प्राकृतिक सुंदरता, और रहस्यमयी नियम आपको एक अद्भुत आध्यात्मिक यात्रा का अनुभव देंगे। जैसा कि मैंने महसूस किया—"यहाँ आकर लगता है कि देवभूमि की यह धरोहर सचमुच भगवान के करीब ले जाती है।"

क्या आपने बिनसर महादेव के दर्शन किए हैं? अपने अनुभव कमेंट में साझा करें! 🌄🔔

writen by :- राधा बंगारी (लेखिका और यात्रा प्रेमी)