उत्तराखंड के टनकपुर के पास स्थित पूर्णागिरि मंदिर एक ऐसा शक्तिशाली शक्तिपीठ है, जो न सिर्फ़ धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता भी पर्यटकों को आकर्षित करती है। यह मंदिर अन्नपूर्णा शिखर पर स्थित है, जो समुद्र तल से लगभग 3000 मीटर की ऊँचाई पर है.
पूर्णागिरि की पौराणिक कथा
पूर्णागिरि मंदिर की उत्पत्ति की कथा देवी सती से जुड़ी हुई है। मान्यता है कि जब भगवान शिव अपनी पत्नी सती के शरीर को लेकर आकाश गंगा मार्ग से जा रहे थे, तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से सती के शरीर को टुकड़ों में बांट दिया। इनमें से एक टुकड़ा, जो सती की नाभि था, पूर्णागिरि पर गिरा, जिससे यह स्थान एक शक्तिपीठ बन गया.
मंदिर का इतिहास
पूर्णागिरि मंदिर का निर्माण 1632 में गुजरात के एक व्यापारी चंद्र तिवारी ने करवाया था, जिन्हें माँ पूर्णागिरि ने सपने में दर्शन दिए थे. तब से यह मंदिर एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल बन गया है और चैत्र नवरात्रि के दौरान यहाँ एक बड़ा मेला आयोजित किया जाता है.
यात्रा का अनुभव: प्रकृति और आस्था का संगम
पूर्णागिरि मंदिर तक पहुँचने के लिए आपको थुलीगढ़ से लगभग 2 किमी की पैदल यात्रा करनी होती है, जो घने जंगलों से होकर गुजरती है. मंदिर के पास एक चमत्कारिक पीपल का पेड़ है, जिसके बारे में कहा जाता है कि यह कभी सूखता नहीं है.
मंदिर के दर्शन से पहले भक्त भैरों बाबा के दर्शन करते हैं, जो देवी के द्वारपाल माने जाते हैं. मान्यता है कि भैरों बाबा की अनुमति से ही देवी के दर्शन होते हैं.
क्यों जाएँ पूर्णागिरि मंदिर?
आध्यात्मिक ऊर्जा: मंदिर का वातावरण भक्ति और श्रद्धा से परिपूर्ण है।
प्राकृतिक सौंदर्य: अन्नपूर्णा शिखर से हिमालय की बर्फीली चोटियों का मनोरम दृश्य।
ऐतिहासिक महत्व: 51 शक्तिपीठों में से एक और देवी सती की नाभि का स्थान।
चमत्कारिक कहानियाँ: झूठा मंदिर की गाथा और सिद्ध बाबा की किवदंती.
यात्रा से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी
सर्वोत्तम समय: मार्च से जून और सितंबर से नवंबर। नवरात्रि में विशेष आयोजन होते हैं।
कैसे पहुँचें:
नज़दीकी रेलवे स्टेशन: टनकपुर (18 किमी)
नज़दीकी हवाई अड्डा: पंतनगर एयरपोर्ट (145 किमी)
टनकपुर से टैक्सी या स्थानीय बसें उपलब्ध हैं।
पास के आकर्षण
अवलाखान या हनुमान चट्टी: यहाँ से टनकपुर शहर और नेपाली गांवों का नज़ारा दिखता है।
बुराम देव मंडी: एक लोकप्रिय बाजार, जो स्थानीय उत्पादों के लिए प्रसिद्ध है।
झूठा मंदिर: एक अनोखा मंदिर, जिसकी कहानी देवी के चमत्कार से जुड़ी है.
निष्कर्ष
पूर्णागिरि मंदिर न सिर्फ़ एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक भी है। यहाँ की यात्रा आपको आध्यात्मिक शांति और प्रकृति के साथ जुड़ने का अवसर देती है। अगर आप उत्तराखंड की यात्रा कर रहे हैं, तो इस मंदिर को अपनी सूची में अवश्य शामिल करें।
अंतिम शब्द:
"पूर्णागिरि मंदिर की यात्रा न सिर्फ़ एक धार्मिक अनुभव है, बल्कि यह प्राकृतिक सुंदरता और चमत्कारिक कहानियों का अद्भुत संगम है। यहाँ की देवी की कृपा से भक्तों की मन्नतें पूरी होती हैं और जीवन में नई ऊर्जा मिलती है।"
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