पाताल भुवनेश्वर गुफा उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में स्थित एक अद्भुत और रहस्यमयी तीर्थस्थल है। यह गुफा गंगोलीहाट के भुवनेश्वर गांव में स्थित है और समुद्र तल से लगभग 1350 मीटर की ऊंचाई पर है. इस गुफा का प्रवेशद्वार से लेकर अंत तक की यात्रा एक अनोखा अनुभव प्रदान करती है, जिसमें प्राकृतिक और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण कई कलाकृतियाँ हैं.
पाताल भुवनेश्वर की पौराणिक कथा
पाताल भुवनेश्वर गुफा का उल्लेख पुराणों में भी किया गया है, जिसमें इसकी खोज का श्रेय त्रेता युग में राजा ऋतुपर्ण को दिया जाता है. द्वापर युग में पांडवों ने इस गुफा में भगवान शिव के साथ चौपड़ खेला था, जिसका उल्लेख भी पुराणों में है. इसके बाद, आदि शंकराचार्य ने इस गुफा की खोज की और इसके बारे में जानकारी दी.
गुफा के रहस्यमय तत्व
पाताल भुवनेश्वर गुफा में कई रहस्यमय तत्व हैं जो इसे और भी विशेष बनाते हैं:
चार द्वार: इस गुफा में चार द्वार हैं - पाप द्वार, धर्म द्वार, मोक्ष द्वार, और रण द्वार। माना जाता है कि रावण की मृत्यु के बाद पाप द्वार बंद हो गया था और महाभारत के युद्ध के बाद रण द्वार बंद हो गया था.
33 करोड़ देवता: यह माना जाता है कि इस गुफा में 33 करोड़ देवताओं का निवास है और यहां से चारों धामों के दर्शन होते हैं.
कलयुग का अंत: एक पौराणिक मान्यता के अनुसार, जब इस गुफा में स्थित शिवलिंग गुफा की छत को छू लेगा, तब कलयुग का अंत होगा.
यात्रा के अनुभव
पाताल भुवनेश्वर गुफा की यात्रा एक अद्वितीय अनुभव प्रदान करती है। यह गुफा देवदार के घने जंगलों से घिरी हुई है और इसके आसपास की प्राकृतिक सुंदरता मन को मोह लेती है. यहां की यात्रा करने के लिए मार्च से जून और सितंबर से नवंबर का समय सबसे अच्छा होता है.
कैसे पहुंचे पाताल भुवनेश्वर
पाताल भुवनेश्वर गुफा तक पहुंचने के लिए आप रेल, हवाई और सड़क मार्ग का उपयोग कर सकते हैं। निकटतम हवाई अड्डा पंतनगर है और रेलवे स्टेशन टनकपुर है. पिथौरागढ़ से यह गुफा लगभग 90 किलोमीटर दूर है.
पाताल भुवनेश्वर गुफा न केवल एक धार्मिक स्थल है, बल्कि यह प्राकृतिक सौंदर्य और रहस्यमयी कथाओं का अद्भुत संगम है। यहां की यात्रा करने से आपको एक अनोखा आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त होगा।