विवरण:
उत्तराखंड के टिहरी जिले में स्थित बूढ़ा केदार मंदिर, भगवान शिव के उस रूप को समर्पित है जहाँ उन्होंने पांडवों को दर्शन देने के लिए बूढ़े व्यक्ति का स्वरूप धारण किया था। यह मंदिर बाल गंगा और धर्म गंगा नदियों के संगम पर स्थित है, जो अपने प्राकृतिक सौंदर्य और आध्यात्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। बूढ़ा केदार मंदिर की यात्रा में आप प्राकृतिक शांति के साथ-साथ धार्मिक अनुभव का आनंद ले सकते हैं।
बूढ़ा केदार मंदिर: एक परिचय
बूढ़ा केदार मंदिर उत्तराखंड के टिहरी जिले के थाती कठूड क्षेत्र में स्थित एक प्राचीन मंदिर है, जो भगवान शिव को समर्पित है। यह मंदिर बाल गंगा और धर्म गंगा नदियों के संगम पर स्थित है, जो इसे एक अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करता है. इस मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में हुआ था और इसका पुनः निर्माण अदि गुरु शंकराचार्य ने करवाया था.
बूढ़ा केदार मंदिर का पौराणिक महत्व
बूढ़ा केदार मंदिर का पौराणिक महत्व महाभारत काल से जुड़ा हुआ है। ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने पांडवों को यहाँ बूढ़े व्यक्ति के रूप में दर्शन दिए थे, जिससे इस मंदिर का नाम बूढ़ा केदार पड़ा. यह मंदिर केदारनाथ की तरह ही पवित्र माना जाता है और यहाँ के शिवलिंग की गहराई का रहस्य आज भी बरकरार है.
बूढ़ा केदार मंदिर कैसे पहुँचे?
बूढ़ा केदार मंदिर तक पहुँचने के लिए ऋषिकेश रेलवे स्टेशन और देहरादून का जॉली ग्रांट हवाई अड्डा निकटतम हैं। यह मंदिर टिहरी जिले के थाती कठूड क्षेत्र में स्थित है, जो देहरादून से लगभग 200 किलोमीटर दूर है. यहाँ तक पहुँचने के लिए सड़क मार्ग का उपयोग किया जा सकता है और निकटतम बस स्टॉप घसनाली है.
बूढ़ा केदार मंदिर की विशेषताएँ
प्राकृतिक सौंदर्य: यह मंदिर बाल गंगा और धर्म गंगा नदियों के संगम पर स्थित है, जो इसे एक अद्वितीय प्राकृतिक सौंदर्य प्रदान करता है.
धार्मिक महत्व: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसका पौराणिक महत्व महाभारत काल से जुड़ा हुआ है.
पौराणिक कथा: ऐसा माना जाता है कि भगवान शिव ने पांडवों को यहाँ बूढ़े व्यक्ति के रूप में दर्शन दिए थे.
बूढ़ा केदार मंदिर के आसपास के दर्शनीय स्थल
बूढ़ा केदार मंदिर के आसपास कई दर्शनीय स्थल हैं जो पर्यटकों को आकर्षित करते हैं:
महासर ताल और सहस्त्र ताल: ये दोनों तालाब प्राकृतिक सौंदर्य के लिए प्रसिद्ध हैं और यहाँ की यात्रा करने के लिए आदर्श स्थान हैं.
बालखिल्य आश्रम: यह एक प्राचीन आश्रम है जो धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए जाना जाता है.
बूढ़ा केदार मंदिर की यात्रा का अनुभव
बूढ़ा केदार मंदिर की यात्रा में आप प्राकृतिक शांति और धार्मिक अनुभव का आनंद ले सकते हैं। यहाँ का शिवलिंग प्राकृतिक रूप से निर्मित है और मंदिर का वातावरण मन को सुकून देता है5. यहाँ की यात्रा करने का सबसे अच्छा समय वसंत ऋतु है, जब प्राकृतिक सौंदर्य अपने चरम पर होता है और मौसम भी सुहावना रहता है.
बूढ़ा केदार मंदिर एक ऐसा स्थान है जहाँ आप प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक महत्व का अद्वितीय संगम देख सकते हैं। यहाँ की यात्रा न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करती है, बल्कि हिमालय की सुंदरता का भी अनुभव कराती है।