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कटारमल सूर्य मंदिर: उत्तराखंड की पहाड़ियों में छिपा सूर्यदेव का अद्भुत आशीर्वाद


जहां सूर्य की पहली किरण बन जाती है प्रार्थना – कटारमल सूर्य मंदिर की अलौकिक यात्रा!

 

उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में स्थित कटारमल सूर्य मंदिर भारत का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर है, जो  सिर्फ अपने ऐतिहासिक महत्व, बल्कि रहस्यमयी वास्तुकला और आध्यात्मिक चमत्कारों के लिए प्रसिद्ध है। 9वीं सदी में कत्यूरी शासक कटारमल देव द्वारा निर्मित यह मंदिर, अल्मोड़ा शहर से मात्र 18 किलोमीटर दूर एक शांत और मनोरम पहाड़ी पर विराजमान है।

 

क्या है इस मंदिर की अनोखी कथा?


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, यहां कालनेमि नामक राक्षस के आतंक से पीड़ित लोगों ने सूर्यदेव की आराधना की।उनकी प्रार्थना सुनकर सूर्यदेव एक विशाल बरगद के वृक्ष में प्रकट हुए और लोगों की रक्षा की। तब से उन्हें "बड़ आदित्य" के नाम से पूजा जाने लगा।


वास्तुकला का अद्भुत नमूना:


मंदिर के गर्भगृह के सामने एक छोटे मंदिर की छत पर बना छिद्र सूर्य की पहली किरण को सीधे मुख्य प्रतिमा पर केन्द्रित करता है|यह प्राचीन विज्ञान और धार्मिक भावना का अनूठा संगम है। सूर्यदेव की यहां स्थापित मूर्ति भी अद्वितीय है जहां आमतौर पर उन्हें सात घोड़ों पर चलते हुए दिखाया जाता है, यहां वे बैठी हुई मुद्रा में विराजित हैं।ऐसी मान्यता है कि इस मूर्ति के दर्शन मात्र से सूर्यदेव भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।

 

क्यों जाएं कटारमल सूर्य मंदिर?


-प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा शांत वातावरण।

-प्राचीन शिल्पकला और खगोलीय ज्ञान का अनूठा प्रदर्शन।

-आध्यात्मिक शांति और चमत्कारिक आशीर्वाद की अनुभूति।

 

यह मंदिर  सिर्फ इतिहासप्रेमियों, बल्कि रहस्यों और आस्था में विश्वास रखने वाले हर यात्री के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव है।

 

अगर आप उत्तराखंड की यात्रा पर हैं, तो इस "छिपे हुए रत्न" को अपनी लिस्ट में जरूर शामिल करें!

 

 

 


writen by :- Radha Bangari