उत्तराखंड के पहाड़ों की बात हो और मशकबीन का जिक्र न आए, ऐसा हो ही नहीं सकता। इसकी मनमोहक धुन सुनते ही मन पहाड़ों की ठंडी वादियों और पारंपरिक पहाड़ी शादियों की यादों में खो जाता है।
उत्तराखंड के लोकसंगीत में मशकबीन इतनी रची-बसी है कि इसके बिना किसी भी खुशी के मौके की कल्पना अधूरी लगती है।
विशेष रूप से कुमाऊँ क्षेत्र के प्रसिद्ध छोलिया नृत्य की आत्मा ही मशकबीन की धुन होती है। जब छोलिया नर्तक अपने परंपरागत परिधान में तलवारों के साथ नृत्य करते हैं, तो मशकबीन की गूंज इस नृत्य को और भी जीवंत बना देती है।
मशकबीन सिर्फ एक वाद्य यंत्र नहीं, बल्कि उत्तराखंड की संस्कृति, परंपरा और लोकधुनों की पहचान है, जो हर पर्व और उत्सव को सुरों की मिठास से भर देती है।